हर की दून बाली पास ट्रेक भाग-१
हर की दून बाली पास ट्रेक: भाग १
हर की दून बाली पास Trek एक बहुत ही खूबसूरत Trek है, जो रोमांच और प्राकृतिक सुंदरता से भरा हुआ है | इस Trek पर आपको वो सभी चीजें देखने को मिल जाएँगी जो आप किसी Trek पर देखना चाहोगे | बर्फीली चोटियाँ ( Snow Laden Peaks ), बुग्याल ( Alpine Meadows), हिमालयी पेड़-पौधे और जीव-जंतु ( Himalayan Flora & Fauna ), नदियाँ और उनके स्रोत ( Rivers and Their Sources ), परम्परागत प्राचीन गांव ( Traditional Ancient Villages ), झीलें ( Lakes ), Adventurous High Mountain Pass, दर्जनों खूबसूरत झरने ( Dozens of Beautiful Waterfalls ), जंगल आदि ये सभी Elements इस Trek को एक Prefect Trek बनाते हैं |
हर की दून और बाली पास दो अलग-अलग Treks हैं, जिन्हें Normally एक साथ नहीं किया जाता है | हर की दून Moderate Level का Trek है और बाली पास Difficult Level का Trek है | दोनों Treks एक साथ करने पर Difficulty Level और भी अधिक हो जाता है | Har Ki Doon Bali Pass Trek को कोई भी एजेंसी organize नहीं कराती है | जिन्हे इस ट्रेक को करना होता है वो इसे Customize कराते हैं या फिर Privately Organize करते हैं | इसलिये इस Trek को बहुत ही कम लोगों ने किया है |
हल्द्वानी से सांकरी वाया देहरादून
मेरे इस सफर की शुरुआत होती है ६-मई-२०२२ को जब मैं हर की दून बाली पास ट्रेक के लिये हल्द्वानी से अपनी Hero Maestro स्कूटी से निकला | दूरी लगभग ५०० किमी थी जिसे दो दिनों में पूरा करने का प्लान था | पहले दिन देहरादून में एक दोस्त के वहाँ रुका और फिर अगले दिन शाम को मैं पहुंचा सांकरी |
आप public Transports जैसे कि Buses, Taxies या फिर अपने वाहनों से सांकरी गांव पहुँच सकते हैं | देहरादून के प्रिंस चौक से आपको सुबह बस या टैक्सी मिल जाएगी | सांकरी जो कि कई सारे प्रसिद्ध Treks का बेस कैंप है | यहां से आप केदारकंठा, फुलारा Ridge, हर की दून, बाली पास, बोरासू पास, मालदाड़ु झील, रुईंसड़ा झील, धुमाधार कांडी पास, फाँचू कांडी पास, देव क्यारा, जौन्धार ग्लेशियर, बारादसर झील, आदि Treks के आलावा स्वर्गारोहिणी, Tons Peak और कालानाग शिखर( Black Peak) के अभियान ( Expedition )के लिए भी जा सकते हैं |
सांकरी में होटल, होमस्टे आदि की सुविधाएं हैं | अगर आप ट्रेकिंग के उपकरण जैसे Waterproof Shoes, जैकेट, पोंचो, Walking Stick,आदि किराए पर लेना चाहते हैं तो वह भी आपको यहाँ मिल जाएंगे |
सांकरी से ओस्ला गॉंव: ट्रैकिंग की शुरुआत
आईये अब चलते हैं तालुका जहां से हम अपने सफर की शुरुआत करेंगे | सांकरी से आगे जाने के लिए वन विभाग के Check Post से Permission लेनी पड़ती है | Permission के बाद मैं चल दिया तालुका की ओर | सांकरी से तालुका तक की दूरी ११ किमी है जिसे पार करने में १ घंटे का वक़्त लग जाता है क्यूंकि सड़क काफी ख़राब है | तालुका से हर की दून का Trek लगभग २७ किलोमीटर है | तालुका से हर की दून के लिये एक trail नीचे ओर जाती है | रास्ता कभी नदी के किनारे तो कभी जंगलों से होकर गुजरता है जो कि बहुत ही आनंददायक अनुभव प्रदान करता है |
नौ किलोमीटर की Gradual चढाई के बाद आखिरकार मुझे पहला गांव गंगाड़ दिखाई दिया | गंगाड़ की खूबसूरती देखते ही बनती है | यहाँ अधिकतर मकान लकड़ी से बने हुए हैं जिनकी भवन निर्माण शैली बहुत ही खूबसूरत है | यहाँ आपको होम स्टे, दुकाने, और छोटे ढाबे मिल जायेंगे | और साथ ही आप यहां कैंप भी लगा सकते हैं | गंगाड़ पहुँचते ही तेज बारिश शुरू हो गयी तो मैं पास के ही एक tea stall चला गया और बारिश रुकने तक वहीं रुका |
गंगाड़ से तीन किलोमीटर चलने के बाद मैं चिल्लुर गाढ़ campsite पहुंचा | जहाँ से थोड़ी ही दूर पर पानी घराट कैंप साइट है | यहाँ से बायीं ओर एक रास्ता लकड़ी के पुल से होकर, सुपिन नदी पार करके ,ओस्ला गांव जाता है और दूसरा रास्ता सीधा रुईंसड़ा झील की ओर जाता है | पानी घराट से आगे जाने पर १ किमी के बाद सीमा गॉंव से फिर से दो रस्ते कटते हैं | बायीं तरफ से रास्ता हर की दून और सीधा आगे की ओर रुईसड़ा झील के लिये जाता है | हर की दून जाने के लिये सीमा से होते हुए ही जाते हैं क्यूंकि ओस्ला वाले रास्ते पर चढ़ाई थोड़ी ज्यादा है |
खैर मुझे तो ओस्ला से होते हुऐ जाना था तो मैं ओसला गया और वहां एक Home Stay में रुका | ५००० साल से भी पुराने इस गॉंव में आकर एक अलग ही एहसास हो रहा था | ऐसी प्राचीन जगह पर आकर पुराने इतिहास को जानना और उसे महसूस करना एक अभूतपूर्व एहसास ( Incredible Experience ) है |
ओस्ला से हर की दून
अगले दिन सुबह मैं सोमेश्वर मंदिर गया | ऐसा कहा जाता है कि यह महाभारत के काल का मंदिर है | इस मंदिर का Architecture बहुत ही अलग और शानदार है | मंदिर की छत पत्थर के slides से बनी हुई है | गंगाड़ की तरह यहां भी लकड़ी के खूबसूरत शैली से बने हुए घर हैं | गॉंव का भ्रमण करने के बाद मैं वापस Home Stay आया और फिर सामान समेट कर चल दिया हर की दून की ओर | ओस्ला इस ट्रेक का आखिरी गॉंव है |
ओस्ला गॉंव से आगे जाने पर नीचे घाटी में सीमा गॉंव दिखाई दे रहा था मानो कह रहा हो कि यहाँ से होकर क्यों नहीं गये | तो मैंने भी मन मे कहा कि tension ना ले वापसी मे आऊंगा ( हीही )|
सीमा से हर की दून जाने वाली trail भी इसी रास्ते पर आगे मिल जाती है | करीब ४ किमी चलने के बाद एक ढाबा मिला जहाँ पहुँचते ही बारिश शुरू हो गयी | बारिश हल्की हुई तो मैं कलकतियाधार की बढ़ गया | यहाँ से कलकतियाधार तक खड़ी चढ़ाई है जिससे कलकतियाधार पहुंचने के बाद अत्यधिक थकान लगती है जो कि थोड़ी देर आराम करने के बाद और प्राकृतिक दृश्यों को देखने के बाद दूर हो जाती है | इसके बाद का रास्ता बहुत आसान है, लगभग तिरछा तिरछा रास्ता है | और लगभग एक किलोमीटर चलने के बाद आपको कलकतियाधार Campsite मिलेगी जहाँ पर आप अपना Tent लगा सकते हैं |
ये कैंप साइट ओस्ला से लगभग सात किमी की दूरी पर है | और यहां से हर की दून कैंप साइट चार किलोमीटर की दूरी पर है | कलकतिया धार कैंप साइट से आगे जाने पर एक खूबसूरत झरना मिला जिसके पास एक छोटा सा ढाबा भी था और Guess What फिर से तेज बारिस शुरु हो गयी | इस पूरी Trip में जब भी तेज बारिस हुई तो मैं भाग्य से ऐसे ही किसी ढाबे के पास होता था जबकि दूर दूर तक कुछ भी सर छुपाने की जगह नहीं थी |
अगर आप Solo Camping करना चाहते हैं तो इस ट्रैक पर आपको ऐसे कई ढाबे जगह-जगह मिल जाएंगे जिससे आपको खाने का सामान लाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और आपका बैग काफी हद तक हल्का हो जाएगा |
यहाँ से आगे जाने पर थोड़ी देर के बाद मैं हर की दून कैंप साइट बोस्लो पहुँच गया | यह हर की दून नदी के किनारे एक खूबसूरत कैंप साइट है | हर की दून यहाँ से लगभग ३ किमी की दूरी पर है |
यहां से आगे का रास्ता थोड़ा चढ़ाई वाला है | पर उतने ही शानदार नजारे आपको मिलते हैं | एक छोटे से जंगल को पार करने के बाद जब हर की दून घाटी के प्रथम दर्शन होते हैं तो मन अपार हर्ष से भर जाता है | घाटी के सुंदर दृश्य आपको मंत्रमुग्ध कर देते हैं | और घाटी के अंत में दिखने वाली स्वर्गारोहिणी की चोटी बहुत ही शानदार प्रतीत होती है |
मुझे यहाँ से आगे मरिंडा झील के लिए जाना था जो कि हर की दून से तीन किलोमीटर की दूरी पर है | लेकिन झील तक पहुंचते ही घने कोहरे के साथ तेज बारिश शुरू हो गई जिसकि वजह से मैं वहां ज्यादा देर तक नहीं रुक पाया | पर झील से पहले कुछ बहुत ही सुंदर हिमालयी पुष्प मिले जो कि समुद्र तल से लगभग ३६00 मीटर से भी अधिक ऊंचाई पर मिले थे |
कोरोना के बाद से ही गढ़वाल मंडल और वन विभाग के गेस्ट हाउस बंद पड़े हैं | वापस हर की दून आकर मैं वन विभाग के विश्राम गृह में रुका जो कि भाग्यवश खुला था क्योंकि उसकी देखरेख करने वाले भय्या वहां आये हुए थे | क्योंकि बारिश बहुत तेज़ थी बोस्लो जाने तक सारा सामान भीग सकता था और रास्ता बहुत फिसलन भरा हो गया था तो इस वजह से मुझे वहां रुकना ही पड़ा |
अगले दिन सुबह मौसम खुल गया था और घाटी के जो नजारे थे वो बहुत ही शानदार थे | कुछ देर वही बिताने के बाद मैं चल दिया अपने आगे के सफर पर जो है हर की दून से बालि पास | इसके आगे की यात्रा का वर्णन अपने अगले ब्लॉग पर बताऊंगा तब तक के लिए नमस्कार 🙏😊!
हर की दून २०२२ | भगवान शिव की घाटी उत्तराखंड | भाग १
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